हाइपोक्लोरस तेज़ाब के बारे में
हाइपोक्लोरस तेज़ाब इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया के द्वारा भी निर्मित किया जा सकता है। इलेक्ट्रोलिसिस एक ऐसी तकनीक है जिसमे अन्यथा गैर-स्वाभाविक रासायनिक प्रतिक्रिया को चलाने के लिए सीधे विद्युत प्रवाह (डीसी) का उपयोग होता है। विशेष रूप से अभियन्त्रित इलेक्ट्रोलिसिस सेल NaCl (टेबल नमक) और पानी के माध्यम से चलती बिजली द्वारा निर्बाध क्लोरीन के विभिन्न वर्ग का घोल उत्पन्न कर सकती हैं। हाइपोक्लोरस तेज़ाब (HOCL) और हाइपोक्लोराइट (OCL-) के ऑक्सीडेंट एनोड में बने हुए होते हैं। यदि घोल का pH थोड़ा अम्लीय से लेकर थोड़ा तटस्थ रूप में है, तो निर्बाध क्लोरीन घोल पर हाइपोक्लोरस तेज़ाब हावी होगा।
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नई तकनीक एवं अनुसंधान
कीटाणुशोधन के लिए क्लोरीन के उपयोग पर 100 से अधिक वर्षों से अनुसन्धान किया जा चुका है। यह एक निर्विवाद तथ्य रहा है कि हाइपोक्लोरस तेज़ाब सोडियम हाइपोक्लोराइट (क्लोरीन ब्लीच) की तुलना में कहीं अधिक बेहतर कीटाणुनाशक गुण प्रदान करता है। एक कीटाणुशोधक के रूप में क्लोरीन के उपयोग के लिए सबसे प्रसिद्ध प्राधिकरणों में से एक है White's Handbook of Chlorination. यह पुस्तक क्लोरीन और वैकल्पिक कीटाणुशोधक के रसायन शास्त्र और प्रभावशीलता को समझाने में विस्तारपूर्ण है।
एक ऐसी प्रणाली का निर्माण करना चुनौतीपूर्ण लक्ष्य है जिससे ऐसा मुक्त क्लोरीन बनाया जा सके जो सोडियम हाइपोक्लोराइट की बजाय हाइपोक्लोरस तेजाब के अणुओ द्वारा हावी हो सके । इलेक्ट्रोलाइज्ड पानी पैदा करने के लिए इलेक्ट्रोलिसिस सेल का विकास 1 9 70 के दशक में एक महत्वपूर्ण सफल खोज बन गया। तब से अब तक, इलेक्ट्रोलिसिस सैल में सुधार किये गए हैं जो की मुक्त क्लोरीन मुक्त के एक घोल को उत्पन्न कर सकता है जो कि लगभग 99% हाइपोक्लोरस तेज़ाब है और जो स्थिर है।
सबसे हालिया सुधारों में से एक मेम्ब्रेन सेल तकनीक को प्रतिस्थापित करने के लिए एकल सेल तकनीक का विकास रहा है जो निकट तटस्थ पीएच पर घोल की केवल एक धारा के उत्पादन की अनुमति देता है। पुरानी तकनीक में मेम्ब्रेन और उच्च दबावों का उपयोग हुआ जो दो धाराओं का सृजन करने के लिए बाध्य करता है, हाइपोक्लोरस तेज़ाब का एक अस्थिर एनोलिट और सोडियम हाइड्रोक्साइड का एक अस्थिर कैथोलाइट। एकल सेल तकनीक के विकसित होने के बाद, किसी भी अनोलाईट का एक स्थिर घोल उत्पन्न किया जा सकता है जो कि लगभग हाइपोक्लोरस तेज़ाब का 99% स्थिर एक घोल उत्पन्न करेगा।
हाइपोक्लोरस तेज़ाब के उपयोग के ऊपर 30 सालों से ज़्यादा किया गया अनुसंधान विद्यमान है और नया अनुसंधान हर साल प्रकाशित हो रहा है। हाल ही में हुआ अनुसंधान खाद्य सफाई और खाद्य प्रसंस्करण सुविधाओं पर हाइपोक्लोरस तेज़ाब के उपयोग पर केन्द्रित है। मुर्गी फार्म, जल उपचार और विसंक्रमण, और स्वास्थय सेवा सम्बन्धी प्रयोग जैसे कि घाव की देखभाल और उपकरण के विसंक्रमण पे भी अनुसंधान किया गया है।
हाइपोक्लोरस तेज़ाब के उपयोग पर 300 से अधिक प्रकाशित लेखों को खोजें।
अनुसंधान का डेटाबेसआँखों और चमड़े के लिए सुरक्षित
हाइपोक्लोरस तेज़ाब आँखों और चमड़े में जलन नहीं करता है। अगर इसे निगल भी लिया गया हो तो भी ये नुक्सान नहीं करता। क्योंकि ये बहुत ही सुरक्षित है, तो ये खाद्य संपर्क सतहों और खाने के लिए एक उपयुक्त सेनिटाईज़र है। ये स्वास्थय सेवा के लिए भी उपयुक्त है जहाँ इसे चोट साफ़ करने के लिए, आँखों के लिए, मरीज़ों के कमरे को साफ़ करने के लिए ज़हरीले रसायनों को हटा देता है, जैसे कि ब्लीच और क्वार्टरनरी अमोनियम (क्वाट्स)
बिना ज़हर का, बिना खतरे का
गाढ़े रूप में फैले हुए स्वच्छता रसायन जहरीले होते हैं और खतरनाक भी हो सकते हैं। त्वचा से संपर्क या धुएं के साँस लेने से जलन हो सकती है। हाइपोक्लोरस तेज़ाब के साथ कोई खतरा नहीं है। इलेक्ट्रोलाइज्ड जल प्रणालियाँ हाइपोक्लोरस तेज़ाब को बस खाने वाले नमक, पानी और बिजली से उत्पन्न करते हैं। निजी सुरक्षा के लिए किसी भी उपकरण की आवश्यकता नहीं होती।
कैसे HOCL सूक्ष्म जीवाणुओं को मार देता है?
कीटनाशक और सूक्ष्म रोगाणु चुम्बक की ही तरह एक दूसरे पर परस्पर प्रभाव डालते हैं। अगर आप दो नेगेटिवली चार्ज चुम्बकों को साथ में रखेंगे तो वो एक दूसरे से दूर भागेंगे। बैक्टीरिया और हाइपोक्लोराइट (OCL-aka ब्लीच) दोनों दोनों ही नेगेटिवली चार्ज होते हैं और ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे कि दो नेगेटिवली चार्ज चुम्बक एक दुसरे से दूर भागते हैं। हाइपोक्लोरस तेज़ाब न्यूट्रली चार्ज होता है और बैक्टीरिया से दूर नहीं भागता। HOCL आसानी से बैक्टीरिया की दीवारों को आसानी से भेद देता है और अपनी मज़बूत ऑक्सीडेशन वाली ताकत से उनका खात्मा कर देता है।
pH क्यों महत्वपूर्ण है?
एक मुक्त उपलब्ध क्लोरीन (FAC) अणु वो है जो जुड़ा हुआ नहीं होता। ऐसी 3 अवस्थाएँ हैं जिसमें क्लोरीन मुक्त रूप में उपलब्ध होता है: क्लोरीन गैस, हाइपोक्लोरस तेज़ाब और हाइपोक्लोराइट। 25 डिग्री सेल्सियस के तापमान को लगातार अपनाते हुए, जब pH 3 से नीचे हो, मुक्त क्लोरीन घोल में से क्लोरीन गैस के रूप में अलग हो जाएगा। जब pH 7.5 के ऊपर होगा तो 50% हाइपोक्लोराइट (OCL-) बन चूका होगा और हाइपोक्लोराइट की मात्र बढ़ती रहेगी जब तक कि इसका pH 14 तक पहुँचता है। pH 3 और pH 7.5 के बीच में मुक्त क्लोरीन घोल पर हाइपोक्लोरस तेज़ाब हावी हो जाएगा ।
हाइपोक्लोरस (HOCL) तेज़ाब के फायदे
पर्यावरण-अनुकूल
HOCL नमक द्वारा बनता है, एक बार निष्क्रिय होने के बाद, वो दोबारा नमक में बदल जाता है।


